Paris Paralympics 2024: भारतीय पैरा-एथलीट धरमबीर और प्रणव सूरमा ने पैरालंपिक्स 2024 में पुरुषों के F51 क्लब थ्रो इवेंट में इतिहास रच दिया।
Paris Paralympics 2024: भारतीय पैरा-एथलीट धरमबीर और प्रणव सूरमा ने Paris Paralympics 2024 में पुरुषों के F51 क्लब थ्रो इवेंट में इतिहास रच दिया। धरमबीर ने 34.92 मीटर के थ्रो के साथ एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर गोल्ड मेडल जीता, जबकि प्रणव ने पहले राउंड में 34.59 मीटर का थ्रो कर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। भारत ने इस इवेंट में शानदार एक-दो फिनिश कर देश का नाम रोशन किया।
35 वर्षीय धरमबीर, जो सोनीपत से ताल्लुक रखते हैं और विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता हैं, ने इस प्रतियोगिता में शुरुआती चार प्रयासों में फाउल कर दिया था। हालांकि, पांचवें प्रयास में उन्होंने ज़बरदस्त वापसी करते हुए रिकॉर्डतोड़ थ्रो किया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वहीं, 29 वर्षीय प्रणव, जो फरीदाबाद से हैं, ने पहले ही प्रयास में 34.59 मीटर का थ्रो किया, लेकिन धरमबीर के रिकॉर्ड को पार नहीं कर पाए और दूसरे स्थान पर रहे। सर्बिया के फिलिप ग्राओवाक ने 34.18 मीटर के थ्रो के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।
इस इवेंट में भारत के तीसरे प्रतियोगी और धरमबीर के मेंटर अमित कुमार सरोहा, जो 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप के सिल्वर मेडलिस्ट रह चुके हैं, ने 23.96 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ आखिरी स्थान पर रहे।
चुनौतियों को मात देकर पैरालंपिक शिखर तक का सफर
धरमबीर और प्रणव सूरमा की कहानियाँ सिर्फ खेलों में जीत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके जीवन के संघर्ष और अदम्य जज़्बे का प्रतीक हैं। एक ऐसी दुर्घटना जिसने धरमबीर को कमर से नीचे तक अपंग बना दिया, वहीं प्रणव के जीवन को एक दर्दनाक हादसे ने पूरी तरह बदल दिया। लेकिन इन मुश्किलों के सामने उन्होंने हार मानने के बजाय एक नई राह चुनी।
धरमबीर की पैरालंपिक यात्रा एक जीवन-परिवर्तनकारी दुर्घटना के बाद शुरू हुई, जब एक नहर में गलत डाइव लगाने के कारण वह कमर से नीचे तक लकवाग्रस्त हो गए। उनके जीवन में नई दिशा तब आई जब साथी पैरा-एथलीट अमित कुमार सरोहा ने उन्हें पैरा-स्पोर्ट्स से परिचित कराया। सिर्फ दो साल में, धरमबीर ने 2016 रियो पैरालंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया, जिसके बाद उनकी सफलताओं का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने 2022 एशियन पैरा गेम्स में सिल्वर मेडल भी जीता है।
प्रणव सूरमा की कहानी भी उतनी ही प्रेरणादायक है। कभी क्रिकेट और रोलर हॉकी के शौकीन रहे प्रणव की जिंदगी तब बदल गई जब 16 साल की उम्र में उनके सिर पर सीमेंट की चादर गिर गई, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई और वे लकवाग्रस्त हो गए। हालांकि, इस मुश्किल समय में भी प्रणव ने 12वीं बोर्ड परीक्षा में 91.2% अंक हासिल किए और बाद में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्टग्रेजुएशन किया। वर्तमान में वे बैंक ऑफ बड़ौदा में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं।
प्रणव ने पैरा-एथलेटिक्स के माध्यम से खेलों के प्रति अपना जुनून फिर से पाया और 2019 बीजिंग ग्रां प्री में सिल्वर मेडल, 2023 सर्बिया ओपन में गोल्ड, और 2022 ट्यूनिसिया ग्रां प्री में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर जल्द ही सफलता हासिल की। उन्होंने 2023 एशियन पैरा गेम्स में पुरुषों के क्लब थ्रो F51 इवेंट में भी रिकॉर्ड-सेटिंग थ्रो कर गोल्ड जीता।
F51 क्लब थ्रो इवेंट
F51 क्लब थ्रो इवेंट उन एथलीटों के लिए है जिनके ट्रंक, पैरों और हाथों में भारी मात्रा में मूवमेंट बाधित है। सभी प्रतियोगी बैठे हुए प्रतिस्पर्धा करते हैं और अपने कंधों और बाजुओं की शक्ति का उपयोग करते हैं। धरमबीर और प्रणव ने तमाम चुनौतियों के बावजूद अपने आपको एक बेहतरीन एथलीट साबित किया है और अपनी दृढ़ता और संकल्प के साथ सभी को प्रेरित किया है।