श्रीजेश का शानदार करियर चार ओलंपिक खेलों तक फैला है, जिसमें टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना भी शामिल है। 2006 में भारतीय टीम में शामिल होने के बाद से, 36 वर्षीय खिलाड़ी टीम का अहम हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने 2011 में भारत के मुख्य गोलकीपर के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया। पेरिस में उनके अंतिम मैच ने एक युग का अंत किया, जो अपने पीछे लचीलापन और उत्कृष्टता की विरासत छोड़ गया।